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Wednesday, November 29

सोफिस्टिकेटेड कैफ़े

वो चाय के जाने पहचाने अड्डे,
जहां खुशनुमा बातें थी-
आधी रातों का सफर-
भीगे मौसम की राहत-
प्रेमियों की मुलाकातें थी.

अब उन गलियों में सोफिस्टिकेटेड कैफ़े है.
जहां चुस्कियों के बजाये सिप्स है-
गुफ्तगू क बजाये कन्वर्सेशन है-
छुपने छुपाने के बजाए डेट्स है-
महंगे कप्स में सस्ते मज़े है.

वक़्त के साथ छोटी खुशियां गयी,
चाय के अड्डों से कैफ़े कप्स में बस चली
नुक्कड़ से खुशियां निकली -
फैशन स्टेटमेंट की गली.

Wednesday, October 11

इंसां का ख़ुदा

कितना कमज़ोर  है इंसां का ख़ुदा
की किसी क़ाफ़िर के हँसने से उसका सीना छलनी हुआ जाता है
कितना कमज़ोर है इस इंसां का इमां
की किसी के मज़ाक से यूँ डगमगा सा जाता है
किस ख़ुदा की इबादत वो करते है
जो महज़ इंसां  के बनाने से ख़ुदा हुआ जाता है















Kindly do not translate and read. The entire meaning is changed.
Image clicked by: Richa Vani