Tuesday, January 21

हम तुम्हारे हुए

ज़माने हुए कुछ साथ मे लिखे हुए
कुछ अल्फ़ाज़ होंठो से गिरे हुए. 
किसे चुनने की फुरसत है यहाँ
हम तो बैठे है उनकी आँखों मे डूबे हुए.


शब्दो के मायने उनके लबो पर बदले हैं
दूरियों से परे उनकी आहट छलके है.
ज़माने हुए कुछ साथ मे कहे हुए
कौन समझेगा की शब्द यहाँ बेमाने हुए.


ये वक़्त ठेहरा है अब उसी मोड़ पर
जहां मुड़ कर वो गए तन्हा छोड़ कर.
साथ रहकर वक़्त काटे हुए ज़माने हुए
अब हर लम्हा इस ज़िंदगी मे हम तुम्हारे हुए.