वो चाय के जाने पहचाने अड्डे,
जहां खुशनुमा बातें थी-
आधी रातों का सफर-
भीगे मौसम की राहत-
प्रेमियों की मुलाकातें थी.
अब उन गलियों में सोफिस्टिकेटेड कैफ़े है.
जहां चुस्कियों के बजाये सिप्स है-
गुफ्तगू क बजाये कन्वर्सेशन है-
छुपने छुपाने के बजाए डेट्स है-
महंगे कप्स में सस्ते मज़े है.
वक़्त के साथ छोटी खुशियां गयी,
चाय के अड्डों से कैफ़े कप्स में बस चली
नुक्कड़ से खुशियां निकली -
फैशन स्टेटमेंट की गली.
जहां खुशनुमा बातें थी-
आधी रातों का सफर-
भीगे मौसम की राहत-
प्रेमियों की मुलाकातें थी.
अब उन गलियों में सोफिस्टिकेटेड कैफ़े है.
जहां चुस्कियों के बजाये सिप्स है-
गुफ्तगू क बजाये कन्वर्सेशन है-
छुपने छुपाने के बजाए डेट्स है-
महंगे कप्स में सस्ते मज़े है.
वक़्त के साथ छोटी खुशियां गयी,
चाय के अड्डों से कैफ़े कप्स में बस चली
नुक्कड़ से खुशियां निकली -
फैशन स्टेटमेंट की गली.
Another observation. I could relate every bit of it. Nostalgia.
ReplyDeleteThanks so much.. :)
DeleteKeep up the good work
ReplyDeleteThis is lovely
ReplyDeleteThanks babe..
DeleteNicely written
ReplyDeleteThank you sir.
DeleteI really imagine your words and lost in my past memories really miss that time
ReplyDeleteThanks Gaurav..I miss those times too..cafe me wo bat nai hai yar..
DeleteKay baat hai....
ReplyDeleteThanks Prashant..
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