ज़माने हुए
कुछ साथ मे लिखे हुए
कुछ अल्फ़ाज़
होंठो से गिरे हुए.
किसे चुनने की
फुरसत है यहाँ
हम तो बैठे है
उनकी आँखों मे डूबे हुए.
शब्दो के
मायने उनके लबो पर बदले हैं
दूरियों से
परे उनकी आहट छलके है.
ज़माने हुए
कुछ साथ मे कहे हुए
कौन समझेगा की
शब्द यहाँ बेमाने हुए.
ये वक़्त
ठेहरा है अब उसी मोड़ पर
जहां मुड़ कर
वो गए तन्हा छोड़ कर.
साथ रहकर
वक़्त काटे हुए ज़माने हुए
अब हर लम्हा
इस ज़िंदगी मे हम तुम्हारे हुए.
अच्छा लिखती हो, उम्मीद ना थी कि तुम कवि ह्रदय भी हो सकती हो।
ReplyDeleteDhanyawad Sunil Baboo...Facebook par apne comment kiya...uske liye bhi...
ReplyDeleteUr writting creates an image in my mind it flashes like a story and it is easily understood. Thank you
ReplyDeleteNice one di...
ReplyDeleteLekin kaphi time bad aaya...
Nice di....
ReplyDelete@Kazi sahab...thank you so much for the amazing words..
ReplyDelete@abhishek..thanks bro...ha is baar thoda busy jyada ho gaye the...
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