दर्द के हज़ार टुकड़े पनपते रहते हैं इस सीने में
उन टुकडो में प्यार का उफ़ान भी आता है
किसका दर्द ज्यादा है पूछते हैं लोग
इश्क में शायद ये मुक़ाम भी आता है
जीने तो देते नहीं इस जहाँ में लोग
मोह्हब्बत शायद करे कुछ मदद मरने में
मुस्कुराना तो मुश्किल है बेवजह
डर लगता है शेफ़ा की दुआ करने में
उन टुकडो में प्यार का उफ़ान भी आता है
किसका दर्द ज्यादा है पूछते हैं लोग
इश्क में शायद ये मुक़ाम भी आता है
जीने तो देते नहीं इस जहाँ में लोग
मोह्हब्बत शायद करे कुछ मदद मरने में
मुस्कुराना तो मुश्किल है बेवजह
डर लगता है शेफ़ा की दुआ करने में
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