कुछ उदंड सी सोच है
जो जन्म ले रही है मेरे मन में
और क्यों न ले
आखिर उदंडता बसती है इन रगों में.
अब इस सोच का क्या करू?
इसे मोड़ने की कोशिश बेकार है
बहुत जिद्दी है ये मेरी तरह
कुछ ठान कर जन्मी है
क्या मेरे इस सोच के उदंड होने का कारण मैं हूँ?
शायद मैं हीं हूँ
पर होगा क्या इसे सुधार कर,
बेहतर बना कर?
अपने पहचान से, अपनी कोशिशों से
अपने जन्म से - वो उदंड ही रहेगी मेरी तरह.
जो जन्म ले रही है मेरे मन में
और क्यों न ले
आखिर उदंडता बसती है इन रगों में.
अब इस सोच का क्या करू?
इसे मोड़ने की कोशिश बेकार है
बहुत जिद्दी है ये मेरी तरह
कुछ ठान कर जन्मी है
क्या मेरे इस सोच के उदंड होने का कारण मैं हूँ?
शायद मैं हीं हूँ
पर होगा क्या इसे सुधार कर,
बेहतर बना कर?
अपने पहचान से, अपनी कोशिशों से
अपने जन्म से - वो उदंड ही रहेगी मेरी तरह.
umda abhivyakti..balike..
ReplyDeleteDhanyawaad Gannu bhaiya...
ReplyDelete@wesOme.......
ReplyDeletethnx avi :)
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